हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं है, हिंदी एक प्रतीक है, हिंदी एक पहचान है, हिंदी एक सूचक है, हिंदी हिंद का अभिमान है, हिंदी जुड़ाव है मिट्टी से, अपनों से, अपने आप से!!

हिंदी माँ है, माँ जो मुझे समझती है, मैं जैसा हूँ, वैसे। बच्चा तोतला हो तो भी, माँ से बेहतर कौन समझता है? खड़ी बोली के अनेकों भेद अपने आप में समेटे है हिंदी। दिल्ली वाली हिंदी का मथुरा वाली हिंदी से और जयपुर वाली हिंदी का उज्जैन वाली हिंदी से भेद तो है लेकिन उन बहनों जैसा जिनमें प्रेम बहुत है। इंग्लिश, स्‍पेनिश और मंदारिन के बाद दुनिया में चौथी सबसे ज्‍यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। यहां तक कि कई अंग्रेजी शब्दों की उत्पत्ति भी हिंदी के शब्दों से ही हुई है। 

विविधता में एकता का अर्थ है हिंदी हो जाना। सह अस्तित्व सही अर्थों में हमें हिंदी से ही सीखने को मिलता है जब हम देखते हैं कि “नई वाली हिंदी”‘ के नाम पर समाचार पत्रों तक में अंग्रेजी और उर्दू का धड़ल्ले से दुरुप्रयोग हो रहा है लेकिन चल रहा है।

हिंदी आत्मा है विचारों की। इसमें कोई दुराव नहीं है कैपिटल और स्मॉल लेटर जैसा। इसमें ‘आप, तुम और तू’ में अंतर है। भावना के व्यक्त करने का सबसे सुदृढ़ साधन है हिंदी।

हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।। हिंदी को पुनः वही वैभव प्रदान हो, जिसकी ये भाषा अधिकारिणी है।

वैसे भी, एक भारतीय जब अपनी पहचान बताता है तो गर्व से तीन शब्द ही उच्चारित होते हैं- हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान!!

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