संविद गुरुकुलम में मनाया गया राधाष्टमी महोत्सव


राधा- जिनके नाम से आज भी बृज क्षेत्र में लोग एक दूसरे को संबोधित करते हों, जिनका नाम कृष्ण से पहले लिया जाता हो, जिनकी कृपा को हज़ारों अधरों से प्रार्थना के स्वर प्रतिपल फूटते हों, जो बृज की रज में, कण में, आदि से विस्तारित हो अंत तक हों, जिनकी अनुकंपा से श्याम विश्व के इकलौते सम्पूर्ण ईश कहाते हों, जिनकी निष्ठा और प्रेम से प्रेम को अमरत्व मिलता हो, आज उन्हीं लाड़ली जी राधिकारानी का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

राधा एक नाम, एक पहचान से इतर एक भाव है जो श्याम में प्राण बनकर रहती हैं। श्यामा अपने श्याम को देखे बिना अपने नयन नहीं खोलतीं, वहीं श्याम भी अपनी सखी राधिकारानी के बिना चैन नहीं पाते। कृष्ण के जीवन को उठाकर ध्यान से देखा जाये तो कृष्ण के जीवन में आनंद और उल्लास तभी तक रहा, जब तक राधारानी का प्रत्यक्ष रूपेण वास उनके जीवन में रहा। कृष्ण भगवान थे, उसके बाद भी, राधारानी के प्रत्यक्ष से नेपथ्य में स्थानांतरित होने की दशा का प्रभाव कान्हा के नक्षत्रों पर जीवनपर्यन्त रहा।

उनके जीवन में महाभारत जैसा विध्वंस आया तो स्यमंतक मणि की चोरी का आरोप भी उस ब्रह्मांडनायक के मस्तक पर रहा जिसके अधिकारक्षेत्र में ये समूचा विश्व, जीव, प्रकृति, वनस्पति, ब्रह्मांड है। जो राजाधिराज महाराज हैं, जिनकी भुजाओं में सृजन और विनाश साथ झूलते हैं। जो बीज से ब्रह्मांड की आनंदमयी यात्रा का अनुभव हैं, उन कन्हैया को भी लाड़लीजी की शरण में शीश नवाना पड़ा। ये महिमा, ये भूमिका, ये प्रतिष्ठा हमारी प्यारी लाड़ली जी की बृज और समूचे भारत में है।

आज भी भारत में, भजन, कन्हैया से अधिक प्रेम की अधिष्ठात्री देवी राधिका के ही लिखे, सुने और गुनगुनाये जाते हैं। बोलै जाता होगा जय श्री कृष्ण गुजरात और द्वारिका में, बृज चौरासी कोस की ब्रह्मांडीय यात्रा में तो राधे-राधे ही संबोधन का एकमात्र प्रक्रिया है।

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वृन्दावन के वात्सल्यग्राम स्थित संविद गुरुकुलम विद्यालय में आज राधिकारानी का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। छात्रों ने अपनी प्रतिभानुसार जहाँ राधा-कृष्ण के चित्र बनाये वहीं नाट्य कार्यक्रमों के माध्यम से आनंद बरसाया गया। इस आनंदोत्सव में जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा छात्रों को अपनी सनातन संस्कृति की हर्षोल्लास के साथ तीज त्यौहार मनाने की प्रथा बताई गई वहीं छात्रों का अप्रतिम उल्लास देख कार्यक्रम में शामिल हुए अतिथि भी वाह कह उठे। कार्यक्रम के समापन पर प्राचार्या द्वारा छात्रों को इस कार्यक्रम का महत्व, मनाने के उद्देश्यों के साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं।

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