समाज के शैक्षणिक सहयोग को समर्पित: कृष्ण ब्रह्मरतन विद्यामंदिर

By June 19, 2021August 10th, 2023Blog

कभी ध्यान दिया जाये तो मानव और पशुओं में कोई अंतर नहीं होता, यदि शिक्षा न होती। शिक्षा – जो पशुता से मानवता की यात्रा है। शिक्षा – जो विचारों की जननी है। शिक्षा – जो विचारों का शुद्धिकरण कर परिष्कृत बनाती है, विचारों को भी और व्यक्तित्वों को भी।

कोई मनुष्य किसी डाकघर का लिपिक बनेगा या मुख्य सचिव जैसा प्रभुत्वशाली व्यक्तित्व, ये निश्चित करती है शिक्षा। जीवनस्तर को उच्च, मध्यम या निम्न के वर्गीकरण में बांटे वो है शिक्षा।

मानव के व्यक्तित्व का निर्माण करती, वैज्ञानिक मानसिकता, तार्किकता, भावभंगिमाओं के साथ कलाओं का विकास करती इस शिक्षा का दोहन एवं शोषण भी होता है। व्यक्तिगत (प्राइवेट) प्राथमिक विद्यालयों के डोनेशन से लेकर मासिक अध्ययन शुल्क तक, इस शिक्षा को आम गरीब जन से दूर कर देते हैं। इसके बाद जो माध्यम बचता है, वो है सरकारी विद्यालय, जिनमें कहीं कहीं अच्छी शिक्षा मिल जाती है, लेकिन अधिकतर विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं पाती, यह भी एक सर्वविदित तथ्य है।

शिक्षा के आधुनिक पाठ्यक्रम एवं रोजगारपरक होने के क्रम में, शिक्षा का जेब पर भारी बोझ, स्कूल की ओर उठते क़दमों को रोक देता है। यद्यपि, मिड डे मील जैसे कार्यक्रमों के कारण विद्यालयों के नामांकन बढ़ा देता है लेकिन स्थिति (गुणवत्ता के विषय में) जस की तस बनी रहती है।

इन सभी परिस्थितियों के मध्य, परमधाम वृंदावन के वात्सल्यग्राम में एक विद्यालय है, जो न सिर्फ अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जाना जाता है, अपितु पूर्णतः निशुल्क भी है। इस विद्यालय का नाम है – कृष्ण ब्रह्मरतन विद्या मंदिर। ये एक प्राथमिक विद्यालय है, जिसकी समाजसेवा में शैक्षिक योगदान प्रशंसनीय है। इस विद्यालय में समाज के वंचित तबके के बच्चे पढ़ने आते हैं, जो किसी भी प्रकार का अध्ययन शुल्क देने में असमर्थ हैं। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बच्चों के अध्ययन का ये प्रमुख केंद्र है, जहाँ सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा, चिकित्सा, भोजन, पुस्तकें, यूनिफार्म तक विद्यालय की ओर से दिया जाता है।

सन 2002 में 20 विद्यार्थियों के साथ प्रारंभ हुए शिक्षा के इस मंदिर में हजार से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। शिक्षा की गुणवत्ता के माध्यम से ये विद्यामंदिर उत्तरोत्तर प्रगति के माध्यम से हजारों परिवारों की “शिक्षा खर्च” वाली चिंता दूर हुई है।

हिंदी माध्यम के इस प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा के साथ सर्वांगीण विकास के अन्य आयामों पर भी ध्यान दिया जाता है। बेहतर नागरिकों के पुनर्गठन की एक विकसित व्यवस्था के अंतर्गत इस विद्यालय में खेलकूद और कला संकाय की भी शिक्षा दी जाती है।

अनुभवी एवं गुणी आचार्यों के दिशानिर्देशन, परमपूज्य दीदी माँ जी के आशीर्वाद के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के इस मंदिर में पठन पाठन के इस यज्ञ में संस्कारित बच्चे भी अपने परिश्रम की आहुति से इस सामर्थ्यपूर्ण जीवन की साधना में निरंतर प्रयत्नशील हैं।

यदि आप भी इन बच्चों की मेहनत को समर्थन देना चाहें, तो निम्नलिखित लिंक पर क्लिक कर सहयोग कर सकते हैं।

http://psp.vatsalyagram.org/donate/

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