संस्कारों, तपस्या और परोपकार का आनंद – वैशिष्ट्यम

By June 10, 2021September 18th, 2023Blog

बृज की पावन नगरी में एक सेवाकेंद्र है जिसे वात्सल्यग्राम के नाम से जाना जाता है। इस सेवाकेंद्र को परम पूज्य दीदी माँ ऋतम्भरा जी ने स्थापित ही नहीं किया अपितु पुष्पित पल्लवित और पोषित इस प्रकार किया कि इस केंद्र के अनेकों प्रकल्पों के दर्शन करने से मानवीयता और उसका महत्त्व समझ आ जाता है। प्राकृतिक छटा ऐसी कि सभी आह्लादित हो जाते हैं। इस आह्लाद का आनंद लेने देश के बड़े प्रतिष्ठित मंत्री श्री देवेंद्र जी प्रधान वैशिष्ट्यम नामक प्रकल्प में नव भवन निर्माण हेतु भूमिपूजन हेतु आमंत्रित थे और उनका विधिवत मंत्रोच्चार के साथ स्वागत किया गया। इस नवीन भवन के भूतल के निर्माण कार्य हेतु देश की प्रतिष्ठित महारत्न कंपनी ओएनजीसी सहयोग कर रही है, जिसके लिए निदेशक (मानव संसाधन) श्रीमती मित्तल का भी आगमन हुआ, जिससे अधिक बच्चे, जो विशिष्ट हैं, इस सेवा प्रकल्प के माध्यम से अपने कष्टमय जीवन में सुगमता और सरलता ला सकें। 

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भूमिपूजन 

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कैंपेन के अंतर्गत देश की महारत्न कंपनी ऑइल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन की मानव संसाधन निदेशक श्रीमती अलका मित्तल भी कार्यक्रम में मौजूद रहीं जिसमें संविद गुरुकुलम विद्यालय के विद्यार्थियों ने लीलाधर भगवान श्री कृष्ण के भजनों पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर सम्पूर्ण सभा-भवन को भक्तिमय कर दिया। इस भक्तिमय माहौल को और आकर्षक बनाया वैशिष्ट्यम के विशिष्ट बच्चों ने जिन्होंने देशभक्ति गीत पर दर्शनीय प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। 

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श्रीमती मित्तल निदेशकओएनजीसी लिमिटेड

इस गीत संगीत और रंगारंग कार्यक्रमों के बीच जो भाव दर्शनीय था, वो था, आगंतुक अतिथियों का इन विशिष्ट बच्चों के प्रति सम्मान एवं प्रेम का भाव, जो परिलक्षित होता है उस ट्वीट के माध्यम से जो मंत्री जी ने दीदी माँ और वात्सल्य परिवार के वैशिष्ट्यम के प्रति स्नेह के कारण किया। कार्यक्रम का सञ्चालन श्री उमाशंकर राही और साध्वी सत्यप्रिया दीदी ने किया।

अपने सम्बोधन में श्रीमती मित्तल ने उस प्रकरण की भी चर्चा की जिसमें उनका वात्सल्यग्राम से स्नेह और कौशल विकास में उनकी अग्रणी सोच प्रदर्शित होती है। उनका अपने प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान ऑइल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कैंपेन में वात्सल्यग्राम के वैशिष्ट्यम को शामिल करना उस मानवीय संवेदनाओं का फिर से जी उठना है जो आज के समय में कहीं खो सी गई हैं। वैशिष्ट्यम के बच्चों को सम्बोधित करते हुए उन्होने कहा कि उनकी कंपनी में वैशिष्ट्यम कके बच्चों का स्वागत है। 

आदरणीय प्रधान जी ने भी दीदी माँ का आभार व्यक्त करते हुए अपने उद्गार व्यक्त कर सभी को सम्बोधित किया। उनका उद्बोधन सरलता और सहजता का सम्मिश्रण था जिसमें काफी गंभीर बातों को सहज तरीके और सरल शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना लोगों को प्रभावित कर गया। 

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शिलान्यास 

दीदी माँ जी के सम्बोधन में एक आकर्षण हमेशा रहता है जिससे श्रोता का ध्यान कभी भंग नहीं होता। वो बोलती हैं तो लगता है व्याकरण की साधक हैं, अपने शब्दों के  चयन से कैसे वो इतना सम्मोहित करती हैं। दीदी माँ जी के आज के सम्बोधन में वो सब कुछ था जिसकी उनके श्रोता उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं। अथितियों का स्वागत सत्कार हो या बच्चों के प्रति उनका निश्छल निर्मल प्रेम, परोपकार की भावना हो या भगवन राम के प्रति उनका समर्पण, निश्चय ही वो इस धरा की तो नहीं लगतीं। 

 दीदी माँ जी का सम्बोधन राम के रामत्व पर था, राम मंदिर के भव्य निर्माण की प्रसन्नता उनके शब्दों के माध्यम से श्रोताओं के कान में शहद घोल देती है। संस्कृति और सभ्यता का अंतर व्यक्त करते हुए दीदी माँ ने कहा कि सभ्यता के नहीं हम संस्कृति के उपासक हैं, निश्चित रूप से ये सही भी है क्यूंकि मेसोपोटामिया से लेकर यूनान और मिस्र से लेकर रोम तक, हर सभ्यता नष्ट भ्रष्ट हो गयी लेकिन संस्कृति थे हम इसीलिए प्रासंगिक हैं। अंत में सभी को भूमिपूजन के साथ आगंतुक अतिथि गणों ने विदा ली और एक मोहक माहौल में ये परोपकार का पावन कार्य सम्पूर्ण हुआ।  

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