एक माँ, एक सपना और हज़ारों मुस्कुराहटों वाला छोटा सा गांव

By June 10, 2021September 18th, 2023Blog

माँ प्रकृति के सान्निध्य में एक छोटा सा गांव है जहाँ संस्कृति रहती है, वहीं एक कुटिया प्रेम की भी है जहां बचपन अपनी मासूमियत के साथ खिलखिलाता है, उसके साथ एक कमरे में संस्कारों के नन्हे कदम लक्ष्य प्राप्ति की ओर निर्बाध रूप से बढ़ रहे हैं, जिनकी नन्ही उंगलियों को एक माँ और उसके अमृतमयी वात्सल्य ने मजबूती से थाम रखा है, एक विश्वास के साथ, कि चाहे जो भी हो, इस गांव के नन्हे बच्चों को सफल और समर्थ बना किसी और को उसी मजबूती से फिर से थामना है। फिर से वही प्रक्रिया और वही सफलता का लक्ष्य लेकिन अनुशासन और संस्कारों की ओट करके अपने बच्चों को विश्व की बुराइयों से बचाते हुए। 

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मथुरा वृन्दावन मार्ग पर बसे इस छोटे से ग्राम को परम आदरणीय साध्वी दीदी माँ ऋतम्भरा ने बसाया है और यहाँ संस्कारों और उच्च आचरण के बीज उपजाए जाते हैं उन नन्हे नौनिहालों में, जिनके जीवन को सुमधुर और सफल बनाने की जिम्मेदारी ली है एक माँ ने जिन्हे उनके आसपास के लोग दीदी माँ कहते हैं। तेजमयी चेहरा, चेहरे पर हमेशा बसने वाली मुस्कान और उस मुस्कान से मिलता दृढ विश्वास जिसमे संकल्प है साधारण जीवन को असाधारण बना ज्ञान और भक्ति के प्रकाशित मार्ग से देश के भविष्य को सुरक्षित करने का। इस गाँव की खास बात है कि यहाँ खुशियां बसती हैं, जिनके हाथ थाम बचपन तरुण होते हैं, रिश्तों की एक अटूट डोर से हर कोई बंधा हुआ है, सभी को अपना बना, सम्मान के साथ बढ़ता जीवन, जिसके अर्धपूर्ण होने में भी एक पूर्णता का आभास होता है। दीदी माँ ने आध्यात्म और विज्ञान की एक ऐसी प्रयोगशाला स्थापित की है जहाँ भक्ति के साथ ज्ञान है। ये ज्ञान संस्कारों और संस्कृति से जोड़ता है, हमें अपनी जड़ें दिखता है, अपने पूर्वजों का गौरवशाली इतिहास और प्रेरणादायी उपलब्धियों से मिलाता है। 

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इस गाँव का नाम है वात्सल्यग्राम जो मथुरा-वृंदावन मार्ग पर स्थित है। दीदी माँ ने सिर्फ इस ग्राम की ही नहीं, संस्कृति और संस्कारों के एक नवयुग की भी आधारशिला रख दी है, जिसमें प्रकृति माँ को सम्मान दिया जाता है। माँ शारदा का एक दिव्य मंदिर जिसमें सत्व, रज और तम आदि तीनो गुणों को गुम्बदों के आकार में परिलक्षित किया गया है। इसके एक तल पर म्यूजियम भी बनाया जा रहा है। इसके साथ इस गाँव में समाज के वंचितों और  महिलाओं के साथ बच्चों के लिए अतुलनीय रूप से सेवा प्रकल्प चलाये जा रहे हैं, जिसमें दीदी माँ के संकल्पों को मूर्त रूप दिया जा रहा है। उस समय में जब विभिन्न ओटीटी प्लेटफार्म हिन्दू घृणा में अश्लीलता और अधार्मिक सामग्री को प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं, ये आवश्यक हो जाता है कि वात्सल्यग्राम जैसे अलौकिक समाधान इस समाज में और बढ़ें और फलें। 

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वसुधैव कुटुंबकम की पुरातन व्यवस्था को मूर्त रूप देते हुए दीदी माँ के प्रकल्प उन्हें परम आदरणीय माँ के रूप में प्रतिस्थापित करते हैं, जहाँ हज़ारों अधरों पर मुस्कान बिखेरी जाती है, जहाँ अपने पूर्वजों को आदरपूर्वक स्मरण कर आत्मविश्वास पैदा किया जाता है, जहाँ सभी को महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाता है, जहाँ गौ माता की सेवा होती है जहाँ त्येन त्यक्तेन भुंजीथा की विचारधारा के अनुरूप चलते हुए दीदी माँ भारत वर्ष के आधार श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए सहर्ष १ करोड़ की राशि दान करती हैं। 

महिलाओं के पुनरुद्धार और संस्कृति की रक्षा करती आदरणीया दीदी माँ एक महान समाज सुधारक नहीं, एक समाज उद्धारक हैं। ऐसी महमानुषी को कोटि कोटि नमन। 

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