शौर्य दिवस – गर्व है !!


इतिहास साक्षी है कि जब जब हिंदू संस्कृति पर विदेशी आक्रांता ओं द्वारा आघात हुआ है तब-तब हिंदू मान बिंदुओं की रक्षा के लिए संत-महात्मा, महापुरुषों हिंदू योद्धा सामने आए हैं और उन्होंने समाज की रक्षा के लिए स्वयं को आहूत किया है ।चाहे वह कृष्ण जन्मभूमि हो चाहे काशी विश्वनाथ का मंदिर चाहे सोमनाथ मंदिर हो अथवा अयोध्या की राम जन्म भूमि हो
त्याग और बलिदान की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है समय दिन काल,युग बदलते रहे किंतु संघर्ष की श्रंखला अनवरत चलती रही पीढ़ी दर पीढ़ी देश और धर्म की रक्षा खप गयीं।
देश की आजादी के बाद भी हम अपने मान बिंदुओं को दासता के चंगुल से मुक्त नहीं कर पाए। यही कारण है हिंदू समाज को एक बार फिर से आवाज उठानी पड़ी ।

स्वतंत्र भारत में भी अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रतीकों को दास्ता के कलंक से मुक्त कराने के लिए बलिदान देने पड़े और ना जाने अभी और कितने देने होंगे।

अयोध्या श्री राम जन्मभूमि पर बने बाबरी ढांचे को हटाना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जिसकी कार सेवा में असंख्य साधु संत राम भक्तों का बलिदान हुआ ।सत्ता लोलुप शासकों ने अपनी निर्दयता का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया और राम भक्त हिंदू समर्थक शासक शासन ने अपनी शह्रयता का परिचय दिया ।
6 दिसंबर को हिंदू शौर्य दिवस के रुप में पूरे देश में बड़े गर्व के साथ मनाया जाता है ।
परम पूज्या दीदी मां साध्वी ऋतंभरा जी के अहर्निश प्रयास, त्याग-तपस्या एवं हिंदू जागरण के शंखनाद के कारण 6 दिसंबर 92 को हिंदू समाज पर आताताई बाबर के द्वारा लगे कलंक को धोया गया था, जिसकी परिणति में आज अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भगवान श्री राम का भव्य एवं दिव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह देश और सम्पूर्ण हिन्दू समाज पूज्य दीदी मां जी के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा ।
शौर्य दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ।

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