वीरता का अद्भुत आख्यान: भानुप्रताप शुक्ल शहीद संग्रहालय


स्वतंत्रता से बलवती भावना कोई नहीं है। स्वतंत्रता से स्वछंदता प्राप्त होती है, मन के अनुसार निर्णय लेने की, क्रिया करने की किंतु ये इतनी सहज और सुलभता से उपलब्ध भी तो नहीं। भारत सैकड़ों वर्षों तक अन्य हिंसक आक्रांताओं की परतंत्रता में रहा है। यद्यपि ये भी एक सर्वविदित तथ्य है कि इन परतंत्र वर्षों में भी स्वाधीनता का भाव कभी समाप्त नहीं हुआ, लुप्त नहीं हुआ। महाराणा प्रताप से छत्रपति शिवाजी, बप्पा रावल से रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे, शहीद भगत सिंह से पंडित आज़ाद तक, ये शाश्वत है कि भारतवर्ष की महान अस्मिता स्वतंत्र ही रही, इससे कोई आक्रांता पार न पा सका।

स्वाधीनता का एक मूल्य होता है। वीर सावरकर हों अथवा भगत सिंह, कैप्टन मनोज पांडे हों या नचिकेता, कर्नल संतोष बाबू से हनुमंथप्पा तक स्वाधीनता के इस महा समर के शौर्यपूर्ण यज्ञ में वीरगति की आहूति देने में कोई कमी नहीं रही। लेकिन इस वीरगति का क्या लाभ यदि इस वीरता को, इस शौर्य को और इस भाव को अपनी अगली पीढ़ी तक न पहुँचाया जाये? यदि हमारे युवाओं को इन वीरता के मुस्कुराते चेहरों से परिचित न कराया जाये तो इस शौर्य का कोई अर्थ न रहेगा।

वृंदावन के वात्सल्यग्राम स्थित शहीद भानु प्रताप शुक्ल संग्रहालय एक प्रयास है अपने महापुरुषों के चरणवंदन का, उनकी वीरता को नमन करने का, अपनी संततियों को उन शूरवीरों से परिचित कराने का, जिनकी वीरता ने हमारे जीवन की स्वधीनता का मूल्य अपने जीवन से चुकाया है। वो शहीद हुए ताकि हम स्वतंत्र रह सकें। वो अपने परिवार से बिछड़ गए ताकि हमारे परिवार की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ न हो सके।

शहीद भानु प्रताप शुक्ल संग्रहालय एक प्रयास है युवाओं के मन में देशभक्ति का भाव जगाने का। उनके मन में इस देश के वीरों के प्रति श्रद्धा हो, सम्मान में सर झुकते हों क्यूंकि किसी भी देश की संप्रभुता उस देश की अपने वीर शहीदों के प्रति कृतज्ञता से निश्चित होती है। जो देश अपने वीरों के प्रति उदासीन होते हैं, वहाँ अगली पीढ़ियों में वीरगति के भाव नहीं पनपते।

पुस्तकालय:-
इस संग्रहालय में एक विशाल पुस्तकालय भी है जहाँ अपने वीरों के प्रति उत्सुकता शांत की जा सकती है। यहाँ अनेकों पुस्तकें उपलब्ध हैं जिनमें साहित्य के प्रति अनुरागियों को स्तरीय साहित्य उपलब्ध कराया जाता है। पुस्तकें ज्ञान का परिष्कृत रूप होती हैं। जितनी पुस्तकें पढ़ी जाती हैं, व्यक्ति के विचारों में उतनी ही शुद्धता और मन में उतनी ही शांति होती है। एक कलकल करते झरने से ठहरे समुद्र की यात्रा को तय करना है पुस्तकों का अध्ययन। देशभक्ति की पावन जलधारा में डुबकी लगाने का अनुपम आनंद है शहीद भानुप्रताप शुक्ल संग्रहालय की यात्रा।

आज युवाओं को अपने देश और समाज के इतिहास के विषय में जानकारी रखना आवश्यक है। इतिहास हमारी चूकों और गौरवमयी गरिमाओं का साक्षी होता है। उसका साक्षात्कार हमें पुस्तकें उपलब्ध कराती हैं। उन जानकारियों के माध्यम से हमें अपनी ऐतिहासिक चूकों से सतर्कता का मार्ग मिलता है तो अपने वीर शौर्य की प्रतिमूर्तियों को समझने और उनपर गर्व करने का भाव भी उत्पन्न होता है।

आइये और इस अनुपम श्रद्धामय संग्रहालय में अपने वीर पूर्वजों को नमन कीजिये, अपार आनंद की अनुभूति निश्चित मिलेगी।

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