नारी सशक्तिकरण को समर्पित महाप्रकल्प है वात्सल्यग्राम
नवरात्रि एक पर्व, महोत्सव और वार्षिक/अर्धवार्षिक अनुष्ठान का नाम ही नहीं है। ये पर्व है शक्ति पूजन का, शक्ति की आराधना का, शक्ति की साधना का। शक्ति अर्थात माँ पार्वती, माँ दुर्गा, माँ सर्वमंगला।
शक्ति की आराधना का ये पर्व मात्र व्रत और धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं हैं। सनातन अपनी व्यावहारिक आस्था के लिए प्रसिद्द है। मात्र कलश स्थापना के साथ व्रत रखने से, मेलों से, भजन संध्या आयोजनों से और जगरातों से ही शक्ति की, माँ सर्वदेवी की पूजा नहीं होती। शक्ति की साधना का, आराधना का अर्थ होता है शक्ति को प्राप्त करना, जिनके बिन शिव भी शव हों, उन माँ दुर्गा की।
नवरात्रि उत्सव है नारी के शक्तिशाली और समर्थ होने का। जब माँ दुर्गा नरपिशाचों का वध करती हैं उन्हें अपने हथियार देते हैं। रक्तबीज, चाँद, मुंड और महिषासुरों को दंडित करने का कार्य माँ अपने हाथ लेती हैं। उस महान परंपरा के पूजन का महापर्व है नवरात्रि जिसमें कन्यापूजन विशेष महत्व रखता है। आज अष्टमी है, अनेकों घरों में महाष्टमी का पूजन होता है, लोग अपने आसपड़ोस से बच्चियों को भोज पर आमंत्रित करते हैं, उनके चरण पखारते हैं, उन्हें प्रेम से प्रसाद परोसा जाता है, अंत में दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया और विदा किया जाता है, ये है आस्थाओं का सनातनी सागर जिसमें माँ सर्वोपरी है, नारी ही नारायणी है।
वास्तविक धरातल पर नारी के इसी शक्तिस्वरूप का विस्तार है वात्सल्यग्राम। एक परियोजना जिसका शुभारंभ हुआ एक माँ के हाथों, जिसने वृद्धाश्रम, अनाथालय और नारी निकेतन जैसे संवेदनहीन शब्दों से परे, एक परिवार का स्वरुप रच दिया, परिवार उनका, जिनका आपस में कोई रक्त-संबंध भले न हो, लेकिन भावनाओं का एक सागर है जिसमें सभी एक दूसरे के साथ बंध जाते हैं।
माँ सर्वमंगला पीठम जैसे भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण विशुद्ध सनातनी नारीवाद का अप्रतिम उदाहरण है। यही हमारा सच है, यही सनातन है। सहस्त्राब्दियों से पुरातन इतिहास है हमारा। जब हर ओर, विशेष रूप से, यूरोप अंधकार युग में था, हम उससे भी हजारों वर्ष पूर्व नारी को पूज रहे थे। भारतवर्ष में स्थित बावन शक्तिपीठ इस बात को प्रमाणित करते हैं कि सनातनी गौरव महिलाओं के सशक्तिकरण से है और उसी गौरव का भान आज वृंदावन स्थित वात्सल्यग्राम कराता है।
वात्सल्यग्राम में महिलाओं के स्वाभिमानी स्वाबलंबन के विस्तार के लिए संविद एक्सपर्ट स्कूल है जहाँ महिलाओं को रोजगारपरक शिक्षा देकर उन्हें रोजगारयोग्य बनाया जाता है जिससे वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।
बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए, संविद गुरुकुलम जैसा आधुनिक विद्यालय है जहाँ नैतिक शिक्षा भी आधुनिक शिक्षा के सदृश्य महत्वपूर्ण है। आधुनिक सुविधासंपन्न गौशाला, विशिष्ट बच्चों के लिए वैशिष्ट्यम जैसे अनेकों प्रकल्प इस सेवा प्रकल्प के तत्वाधान में निरंतर संचालित हैं, जिसमें शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, महिला विकास जैसे निकाय सतत क्रियाशील हैं।
नारी का सशक्तिकरण एक सभ्य समाज की अवधारणा के लिए अत्यंत आवश्यक है। आधुनिक भारत के इतिहास में भी हमें रानी दुर्गावती, होल्कर, पद्मावती, रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं के महान व्याख्यान सुनने और पढ़ने को मिलते हैं, जिनमें दृष्टिगोचर होता है कि भारत तब भी नारी शिक्षा और शक्ति की साधना का उतना ही पोषक था।
नवरात्रि की शुभकामनाएँ !