छोटी दीवाली अर्थात उत्सव, हर्ष और उल्लास!!


छोटी दीपावली – पर्व है जीवन के मंगलगान का। दीप जला अंधेरों को दूर करने का ये महापर्व सनातन का शिखरबिन्दु है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के अयोध्या आगमन का ये महापर्व मन को अपार आनंद से प्रफुल्लित करने का पर्व है। अयोध्या में आज नौ लाख दीये राम की पैड़ी पर जलाये गए है और संपूर्ण अयोध्या में बारह लाख दीप प्रज्वलित किये गए हैं। आस्थाओं के चरम और परम बिंदु का पर्याय है दीपावली। सनातन का सबसे बड़ा त्यौहार है दीपावली जो पांच दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आज उस महापर्व का दूसरा दिन, छोटी दीपावली है जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।

आज के पर्व का नाम छोटी दीवाली
आज के पर्व को छोटी दीवाली भी कहा जाता है क्यूंकि आज दीप प्रज्वलित किया जाता है और दीपदान किया जाता है। घरों में देवी देवताओं की पूजा आराधना कर दीप जलाकर रौशनी की जाती है। आज के दिन मिष्ठान बनाये जाते हैं और उनका आनंद लिया जाता है। यही सनातन की सुंदरता है, स्वास्थ्य एवं समृद्धि की मनोकामना के साथ लोग एकजुट हो उल्लसित हो अपनी परम्पराओं को अनुशासन के साथ निभाते हैं।

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छोटी दीवाली या नरक चतुर्दशी
दीपावली महापर्व के द्वितीय दिवस को छोटी दिवाली अथवा नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन रुद्रावतार महावीर हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। आज के दिन पूर्वजों की शांति के लिए भी पूजन किया जाता है। मान्यता है की आज के दिन श्रद्धा और भक्तिपूर्वक ईशप्रार्थना करने वाले व्यक्ति को नरक से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति होती है जिस कारण इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं।

सनातनी सुंदरता का ये महापर्व अपने संपूर्ण यौवन के साथ आया है। लाखों दीयों जगमग के साथ रात से अँधेरे दूर हैं। चहुंओर प्रसन्नता है, उल्लास है, आनंद है। इसी मंतव्य से इस महापर्व को मनाइये, दीपावली पर्व है मुस्कुराने का, मुस्कुराइये !!

वात्सल्य परिवार की ओर से खुशियों के महापर्व, छोटी दीवाली की सभी धर्मावलम्बियों को अनंत शुभकामनाएँ उत्सव, हर्ष और उल्लास!!

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