गौमाता का अपना घर: कामधेनु गौ गृह


एक देश के रूप में, भारतवर्ष, सर्वदा प्रकृति एवं उसकी संततियों के प्रति आसक्त रहा है। उन संततियों को सनातन धर्म में जो स्थान मिला, वो अन्यत्र कहीं न मिल सका। पहली रोटी गाय को और अंतिम रोटी कुत्ते को निकालने के साथ मछलियों को आटा और पक्षियों को जल की समुचित व्यवस्था करते भतेरे लोग हमें यत्र तत्र मिल ही जाते हैं। भारतवर्ष में जीवन का आधार ही गौ, गीता एवं गायत्री को माना गया है। अर्थात जीवन के मूल में माँ प्रकृति, पुस्तकें एवं आध्यात्म हैं। यही सनातन है, यही सत्य है, यही संस्कृति है।

गौपालन के माध्यम से गौ संवर्धन ग्रामीण अंचल में गौरवमय व्यवसाय रहा है। गौ सेवा के क्षेत्र में अनेकों युवाओं को आज भी गौमाता की सेवा करते देखा जा सकता है लेकिन अनेकों कारणों से वर्तमान परिस्थितियों में गौमाता की सेवा के प्रति संवेदनाओं में कमी आई है। गौपालन की गरिमा यद्यपि भारतीय समाज में पुनर्स्थापना की प्रक्रिया के माध्यम से गुजर रही है।

वात्सल्यग्राम में आने वाले अधिकांश बच्चे शिशु होते हैं। दुर्भाग्य से, स्तन के दूध की अनुपस्थिति में उनके बहुमूल्य जीवन की रक्षार्थ, उन्हें उचित पोषण देने के लिए दूध आवश्यक हो जाता है। पोषण एवं शारीरिक विकास हेतु गाय का दूध एक उत्कृष्ट विकल्प है। प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर दूध, हड्डियों के विकास के लिए अच्छा है, पोषक तत्वों से भरपूर यह मानसिक विकास के लिए भी सर्वोत्तम विकल्प है। वात्सल्यग्राम स्थित कामधेनु गौगृह एक सामान्य गौशाला न होकर, एक भावनात्मक केंद्र है जहाँ गौमाताओं के अमृतमय दुग्ध से अनेकों मातृत्वविहीन शिशुओं का पालन-पोषण किया गया है और किया जा रहा है। इन गौमाताओं के निवास के आधुनिक एवं उत्तम साधनों के साथ उनके प्रति सेवा का भाव दर्शनीय है। इस गौवंश में भारत की श्रेष्ठतम वंश की गौएँ आनंदमय निवास करती है। उनका उच्चकोटि दुग्ध जहाँ गोकुलम में रहने वाले अनेकों स्तनपान की आधारभूत अनिवार्यता से हीन बालकों को अपने दुग्ध से पोषित कर रही हैं।

निरंतर सेवारत सेवरतों के माध्यम से इस गौवंश की उत्तम देखभाल की जाती है। नियमित भोजन, जल एवं चिकित्सकीय सुविधाओं युक्त कामधेनु गौगृह वृंदावन ही नहीं, अपितु, राज्य के सर्वोत्तम गौशालाओं में सर्वश्रेष्ठ है। यहाँ गौमाताओं को माता के भाव में पूजा जाता है, उनकी चिंता की जाती है, बदले में इन गौमाताओं ने अपने मातृत्व से अनेकों शिशुओं की शिराओं में अपने अमृतमय दुग्ध से जीवन को गति दी है।

वात्सल्यग्राम की अपनी गौशाला होने से यह भी सुनिश्चित होता है कि बच्चों को मिलने वाला दूध मिलावट से मुक्त हो, वहीं गौवंश की समुचित देखभाल हो। यह बच्चों को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ गायों के संरक्षण के दोहरे उद्देश्य को भी पूरा करता है। वृंदावन में गौशाला की शुरुआत जून 2004 में सिर्फ 2 गायों के साथ हुई थी और अब 175 गाय और बछड़े हैं। गौसंरक्षण एवं गौसंवर्धन केंद्र के रूप में कामधेनु गौगृह सुविख्यात है। इसकी प्रबंधकीय गुणवत्ता से इस गौशाला केंद्र की ख्याति चहुंओर व्याप्त है। गौमाता अपने आशीष से जगत का यूँ ही कल्याण करें।

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