मीरा माधव का द्वार: वात्सल्यग्राम का अलौकिक संसार
विवाह – एक परिणय सूत्र में बंधे सिर्फ दो व्यक्तियों के एक साथ जीवनयापन करने की सामाजिक व्यवस्था का ही नाम नहीं है, ये नाम है दो कुलों के एक होने का। पाणिग्रहण संस्कार से पावन क्या है जिसमें एक युवती अपने पिता के घर से ब्याह कर अपने घर प्रस्थान कर जाती है, एक नए घर को अपनी उपस्थिति से सजाने, सँवारने, अपने संस्कारों की पावन महक बिखेरने। सनातन में इस संस्कार को बहुत प्रमुखता से निभाने की प्रथा है क्यूंकि विचारों के न मिलने पर भी यहाँ संबंध विच्छेद नहीं होते, शायद इसीलिए डिवॉर्स शब्द का हिंदी शब्दमाला में कोई शाब्दिक अर्थ नहीं मिलेगा आपको।
विवाह तय होने के बाद सबसे जरुरी होता है विवाह स्थल का चयन। विवाह स्थल की शुचिता, स्वछता, आसपास का माहौल भी ध्यान में रखा जाता है क्यूंकि एक पावन कार्य के शुभारंभ पर काफी कुछ टिका होता है।
मीरा भी माधव से विवाह करना चाहती थीं। बचपन में ही माधव को अपने पति के रूप में स्वीकार चुकी थीं। अपने सच्चरित्र एवं शुचितामय जीवन के तप के प्रभाव राणा के विष मीरा पर कोई प्रभाव न पड़ा था। धर्म के अन्यत्र उनका समाज में अप्रतिम योगदान है। उनके भजनों ने सनातन को जनमानस के अंतस में चिरायु रखा। आक्रांताओं के जबरन धर्मांतरण के बाद भी लोग सनातन यदि नहीं छोड़ना चाहते थे तो उसके मूल में भक्तिकाल के संतों का बहुत बड़ा योगदान है।
मीरा सशरीर माधव के विग्रह में जा मिली थीं। मीरा और माधव आज भी एक हैं। एक है उनका निलयम, जिसमें मीरा के भजन सुन माधव आनंदित होते हैं। निलयम एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ है घर। संस्कृत के बाद, विश्व की सबसे पुरानी और शाश्वत भाषा है तमिल। उस निलयम में मीरा हैं, जहाँ माधव सुनते हैं, मीरा गाती हैं। माधव रूठते हैं, तो मीरा मनाती हैं, माधव कहते जाते हैं तो मीरा सुनती जाती हैं। कदाचित माधव उनसे अपने प्रेम के देहहीन रूप की प्रासंगिकता को स्थापित करने के उद्देश्य के लिए किये प्रयत्नों की चर्चा करते हों, या मीरा उनके मोरपंख को माथे पर सजाने की कथा का वर्णन पूछती हों। मीरा और माधव यूँ ही पहरों बैठे उस भाव को जीते हों, जिसके लिए द्वारिकाधीश योगेश्वर कृष्ण को कान्हा और कन्हैया बनना पड़ता हो।
रुक्मणी और राधा के प्रेम के इतर, मीरा का माधव के लिए प्रेम अलग था। जहाँ रुक्मणी को परमयोद्धा, ब्रह्माण्डनायक योगिराज द्वारिकाधीश की प्राप्ति हुई, तो राधा को उनके नटखट धेनु चराते बांसुरीवादक कृष्ण की। ये ग्वाला कहीं भी माखन मिश्री के लिए मटक देता है तो वो ईश्वर सबको अपनी उँगलियों पर नचाता है। इन दोनों ही ठकुरानियों को पूरे कृष्ण नहीं मिले। रुक्मणी हमेशा उनके बालरूप के दर्शनों के लिए तरस गईं तो राधारानी ने उन्हें योद्धा और राजा के रूप में कभी न पाया। मीरा को ये दोनों रूप मिले, उन्हें सशरीर श्रीकृष्ण ने मोक्ष प्रदान किया।
परमधाम वृन्दावन के सेवाप्रकल्प वात्सल्यग्राम में मीरा माधव के इसी रूप की परिकल्पना की गई है। इस मंदिर में नाम से एक आध्यात्मिक रिसॉर्ट भी बनाया गया है जिसके केंद्र में है ये मीरा माधव का धाम। इस रिसॉर्ट का नाम है, मीरा माधव निलयम।
वृन्दावन के दर्शनीय स्थलों में से एक वात्सल्यग्राम में स्थिल इस विवाहस्थल में यूँ तो बहुत कुछ वांछनीय है लेकिन कुछ चीजें हैं जो इसे आम लोगों के लिए ख़ास बनती हैं। मथुरा-वृन्दावन मार्ग पर स्थित ये विवाहस्थल अपने सजावट, नैवैद्यम नामक रेस्टॉरेंट में मिलने वाले प्रसादम के लिए प्रसिद्द है लेकिन इसकी अनुपम छटा इसे अद्वितीय अप्रतिम और अलौकिक बना देती है।
यहाँ भोजन को प्रसादम कहा जाता है और यही कारण है कि नैवैद्यम में बनने वाले भोजन को पूर्णतः सात्विक और शुद्धता के उच्च मानकों पर ही बनाया जाता है। यहाँ मिलने वाले भोजन की एक और खास बात है कि ये प्याज और लहसुन मुक्त भोजन है क्यूंकि वृन्दावन और मथुरा में प्रवास करने वाले साधुजन प्याज/लहसुन का सेवन वर्जित मानते हैं, उसी ऋषि परंपरा को दृष्टिगोचर करते हुए यहाँ प्याज/लहसुन पूर्णतः वर्जित है। कमरे बड़े और हवादार हैं। कमरों में वातानुकूलित यंत्र की भी समुचित व्यवस्था है। स्वछता इस स्थल की प्राथमिकताओं में है और थका देने वाले उत्सव के बाद आरामदायक शांति और सुरक्षा इस स्थल की विशेषता है।
आपकी आवश्यकताओं के अनुसार यहाँ बड़ा और विशाल बैंक्वेट हॉल है तो बाहर विशाल लॉन भी, जिसमे विवाह जैसे महापर्व की तैयारी कर विवाह को आनंदोत्सव में परिवर्तित कर दिया जाता है। बैंक्वेट हॉल में एक साथ 200 से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था है। चौंसठ कमरे भी चार तलों पर उपयुक्त रूप से उपस्थित हैं।
सोचिये जिस जगह विवाह जैसे कार्यक्रम हो, वहां पहले से मीरा माधव का मंदिर हो, साथ में उसी स्थल पर माँ सर्वमंगला का मंदिर बन रहा हो जिसमें तीन गुणों, सत रज और तम की अवधारणा के साथ मंदिर निर्माण हो रहा हो, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक प्रकाश से जीवन आनंद से परिपूर्ण हो रहा हो, उससे अच्छा विकल्प कहीं और कैसे हो सकता है?
अगर आप डेस्टिनेशन वेडिंग का विचार कर रहे हैं तो मीरा माधव निलयम से उपयुक्त विकल्प आपको नहीं मिलेगा, आइये और अपने सपनों को पर लगते देखिये मीरा माधव के इस परमधाम में।